Wednesday, December 18, 2013

आंदोलन - एक विकल्प।

ऐसा सोचना की - अमुक व्यक्ति या समूह की मंशा गलत है और इस धारणना को सही जताने या मनवाने के लिये पूर्व में गलत साबित हुए का अनुकरण करना उचित ना होगा, मेरी नज़र में। अगर ये मान भी लिया जाये की मंशा गलत होने की "अति" संभावना है तो भी पूर्व में गलत साबित हुए का अनुकरण करना सही नहीं माना जा सकता।
अब जब कोई भी विकल्प सही ना बचे तो शायद वही समय होता है , एक आंदोलन का; सभी के हितों के लिये।
उससे फिर एक नये गाँधी, अन्ना या अरविंद का जन्म होता है, या यू कहिये की नया विकल्प तैयार होता है। शायद फिर ये नया विकल्प पूर्व की भांती बिका हुआ या गलत नज़र आने लगे। तब क्या आप आंदोलन करना समाप्त कर देंगे ? क्या तब आप लड़ना छोड़ देंगे ? नहीं, ऐसा नहीं होगा। साधारण पर सत्य है की जीवन, स्वयं के अस्तित्व के लिये लड़ता है इसलिये आंदोलन होते रहेंगे।
में केवल इतनी सी बात प्रस्तुत करना चाहता हूँ की जिस भी आंदोलन से हम जुड़े, उस जुड़ने को व्यक्ति विशेष से ना जोड़े अपितु उस विषय वस्तु से जुड़े रहें। अगर ऐसा होता है तो हम गलत शक्तियों के द्वारा विभाजित होने से बच सकते हैं एवं अपने आंदोलन या सर्व हितों की आवाज को हुमेशा बुलंद रख सकते हैं। तात्पर्य यह है की निरंतर आंदोलन करते रहिये, व्यक्ति प्रेम या अंधभक्ति के बजाये विषये-वस्तु का आकलन करते हुए आगे बढ़ते रहिये।

--प्रशांत शर्मा।

* त्रुटियों के लिये खेद है, समय एवं हिन्दी ज्ञान में कमी होने के कारण गलतियाँ संभव हें|

Saturday, July 27, 2013

Me on the way!

In the way, me on the way,
asking silently, is this the way?
got afraid, if not this the way!

Looking for the ray,
Ray of hope, Ray of truth, Ray of challenge,
keep going on the way...

Many have passed through,
Many have returned,
with Many got stayed;

Lets move with the say,
try bit hard to make the way,
First one to have passed through in my way,
Leaving to be or not to be, behind at the point of the way,
but being true through out the way,
Now me on MY way!

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Prashant Sharma
27-Jul-2013